Vidya Vikasini Degree College

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विद्या विकासिनी स्नातकोत्तर महाविद्यालय गुरुकुल नारसन (हरिद्वार) संक्षिप्त परिचय इस शिक्षण संस्थान की स्थापना सन् 2000 में हुई। स्थापना के समय यह संकल्प लिया गया कि अपनी मेहनतईमानदारीअनुभवों और प्रयासों से शिक्षा में सुधार किया जाएगा। संस्था छात्र/छात्राओं के विकास हेतु भरसक प्रयत्न करेगी। प्रारंभ मेंवर्ष 2010 में उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालयदेहरादून से बी.बी.ए.बी.सी.ए.बी.एससी. (आई.टी.)बी.एससी. (कंप्यूटर विज्ञान) और बी.एससी. (गृह विज्ञान) पाठ्यक्रम शुरू किए गए। क्षेत्र की जनता की यह दीर्घकालीन आकांक्षा थी कि महाविद्यालय में इन पाठ्यक्रमों के साथ-साथ बी.ए.बी.कॉम.बी.एससी. (पी.सी.एम.)बी.एससी. (सी.बी.जेड.)और बी.एससी. (एग्रीकल्चर) भी चलाए जाएं। सन् 2013 में श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालयटिहरी गढ़वाल से बी.ए. (हिंदीअंग्रेजीराजनीतिक विज्ञानइतिहासअर्थशास्त्रसंस्कृतसमाजशास्त्रशिक्षाशास्त्रचित्रकला) व बी.कॉम. (कंप्यूटर अकाउंटिंग सहित) तथा बी.एससी. (गणितरसायन विज्ञानभौतिकीजन्तु विज्ञानवनस्पति विज्ञानकंप्यूटर विज्ञान) पाठ्यक्रमों की शुरुआत की गई। सन् 2015 से श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय से ही बी.एससी. (कृषि) और स्नातकोत्तर में एम.एससी. (गृह विज्ञान) के फूड एंड न्यूट्रिशन एवं टेक्सटाइल पाठ्यक्रम शुरू किए गए। सन् 2016 में स्नातकोत्तर कला संकाय में एम.ए. (अंग्रेजी)एम.ए. (समाजशास्त्र)एम.ए. (शिक्षाशास्त्र) तथा विज्ञान संकाय में एम.एससी. (रसायन विज्ञानगणित) और वाणिज्य संकाय में एम.कॉम. की कक्षाएं शुरू की गईं। जून 2018 में प्रबंध समिति द्वारा महाविद्यालय का नाम “विद्या विकासिनी डिग्री कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजीगुरुकुल नारसन” से बदलकर “विद्या विकासिनी स्नातकोत्तर महाविद्यालयगुरुकुल नारसन” करने का प्रस्ताव किया गया। सन् 2019 में स्नातक स्तर पर बी.ए. (योग) और स्नातकोत्तर स्तर पर एम.एससी. (माइक्रोबायोलॉजी) की कक्षाएं शुरू की गईं। वर्ष 2022 से स्नातकोत्तर स्तर पर एम.एससी. (एग्रोनॉमी)एम.एससी. (अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन)एम.एससी. (भौतिकी)एम.ए. (हिंदी) और स्नातक स्तर पर बी.एससी. (हार्टिकल्चर) पाठ्यक्रम की कक्षाएं आरंभ हुईं। आज विद्या विकासिनी पी.जी. कॉलेज जिस गौरव और प्रतिष्ठा को प्राप्त कर सका हैउसका श्रेय महाविद्यालय के प्रबंधकसमिति के सदस्यऔर समस्त कर्मचारियों की निष्ठालगन एवं निःस्वार्थ सेवा को जाता है। भविष्य में भी ये सभी महाविद्यालय की निरंतर प्रगति के लिए दृढ़ संकल्प रहेंगे।
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